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सीकर23 मिनट पहले
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परिवार के साथ गौतम
ये कहानी किसी बड़ी शख्सियत की नहीं है, बल्कि उस लड़की की है जिसने अपने पिता के सम्मान को फिर से दिलाने के लिए अपने सपने को भी छोड़ दिया था। हालांकि, हालात से लड़ते हुुए परिवार के दिन भी बदले और अपने सपने को भी पूरा करने का रास्ता चुना। आज भी अपने पिता कन्हैयालाल चौधरी का एक कंधा बनकर साथ खड़ी है रानोली की गौतम चौधरी।

स्कूल में काम करते हुए गौतम
सीकर के रानोली की रहने वाली 26 साल की गौतम चौधरी अपने पापा का स्कूल संभाल रही है। गौतम अपने पिता के दूसरे नंबर की लड़की है। सबसे बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। वहीं छोटी बहन B.Sc. B.Ed. कर रही है, इकलौता भाई दसवीं कक्षा में पढ़ता है।

बचपन की गौतम, तक देखा था सपना
जब पलट गए दिन..
करीब सात साल पहले गौतम का परिवार काफी खुशहाल था। किसी तरह की कमी नहीं थी। पापा एक स्कूल चला रहे थे। बड़ी बहन की शादी होने के बाद अचानक परिवार के हालात बदलते गए, एक समय ऐसा आ गया जब स्कूल भी बंद हो गया। गौतम उस दौरान B.Sc. कर रही थी। उसका सपना सरकारी नौकरी करने का कभी नहीं रहा, वह खुद का बिजनेस करना चाहती थी।
परिवार को संभाला, सपने को जिंदा किया
परिवार की माली हालत ने उसके सपने पर ब्रेक लगा दिया। इस दौरान परिवार को संभालने के लिए गौतम ने पहले ब्यूटी पार्लर का काम सीखा और फिर चार साल तक रींगस में ब्यूटी पार्लर चलाया। धीरे-धीरे अपनी पढ़ाई भी पूरी की और अपने पिता के मार्गदर्शन में फिर से परिवार को भी खड़ा कर दिया।

मेहनत से बदले हालात
फिर से खड़ा किया स्कूल
गौतम ने परिवार के हालात सुधरते देख पिता के स्कूल को फिर से खड़ा किया। अपनी मेहनत से पिता के साथ स्कूल को न सिर्फ संभाला, बल्कि उसको अच्छी स्कूलों की पंक्ति में ला खड़ा किया। स्कूल का मैनेजमेंट अपने सपने को पूरा करने के लिए कर रही है। हालांकि, वह आगे नहीं पढ़ पाई, लेकिन उसे खुशी है कि परिवार फिर से चल पड़ा है अपनी राह पर।