Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
भीलवाड़ा21 दिन पहले
- कॉपी लिंक
एमजी हाॅस्पिटल में बना पीआईसीयू।
- काेटा के जेके लाेन हाॅस्पिटल में बच्चाें की लगातार माैत के बाद दौरे में कलेक्टर को बताई थी जरूरत
एमजी हाॅस्पिटल में नए साल में गंभीर बीमार बच्चाें के उपचार की सुविधा हुई है। एमसीएच यूनिट में बच्चाें का आईसीयू यानी पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) शुरू हुआ है। पहले एमसीएच यूनिट में भर्ती बच्चाें काे बड़ाें के आईसीयू में ही भर्ती करना पड़ता था।
कई बार बैड खाली नहीं हाेने तथा गंभीर बीमार हाेने के कारण से रैफर करना पड़ा। जिसके कारण से कई बार बच्चे की रास्ते में माैत भी हाे जाती थी, लेकिन अब बच्चाें काे यहीं पर गंभीर बीमार हाेने पर पीआईसीयू में भर्ती कर उपचार शुरू किया जा सकेगा। एमसीएच यूनिट प्रभारी डाॅ. इंद्रा सिंह ने बताया कि यहां पर एक माह के बच्चे से लेकर 17 साल के किशाेर का उपचार किया जा सकेगा। इसमें यहां पर पांच बेड लगाए है गए है।
जिन पर उपचार किया जा रहा है, वहीं एक ट्राइज बेड लगाया गया है, जिस पर गंभीर अवस्थ में आए बच्चे का उपचार शुरू कर अन्य बेड पर शिफ्ट करते हैं। काेटा के जेके लाेन हाॅस्पिटल में बच्चाें की माैत हाेने के मामले के बाद कलेक्टर शिवप्रसाद एम नकाते ने 11 दिसंबर काे भी एमजी हाॅस्पिटल के एमसीएच यूनिट दाैरा किया था। इस दाैरान पीआईसीयू बनाने की मांग पीएमओ डाॅ. अरुण गाैड़ ने की थी।
पीडियाट्रिक आईसीयू में ये हाेती है सुविधाएं
पीडियाट्रिक आईसीयू में एक माह से लेकर 17 साल के किशाेर काे भर्ती रखने की व्यवस्था हाेती हैं। साथ ही गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चे काे अगर वेंटिलेटर की जरूर व ऑक्सीजन की जरूरत हाे ताे यहां पर भर्ती किया जा सकता हैं। जहरली जंतू के काटने, दवाई रिएक्शन करने की स्थिति में भी यहां पर भर्ती की व्यवस्था की जा सकती हैं।
जिले का सबसे बड़ा हाॅस्पिटल हाेने के साथ ही यहां पर आसपास के जिलाें के भी मरीज आते हैं। एनआईसीयू में 24 बेड की व्यवस्था है जबकि यहां पर इससे भी ज्यादा बच्चे भर्ती रहते हैं। पीआईसीयू नहीं हाेने के कारण से अभी मेडिकल आईसीयू में भर्ती करना पड़ती थे। मेडिकल आईसीयू में अगर जगह नहीं हाेती है ताे अजमेर भी रैफर करना पड़ता हैं कभी ताे नवजात की जान तक पर बन आती थी।