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अलवर/सरिस्का16 दिन पहले
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सुमेल गांव में पत्ता गाेभी की ऑर्गेनिक खेती।
- 1.01 हैक्टेयर में कर रहे आर्गेनिक सब्जी की खेती
कोरोनाकाल को दो दोस्तों ने अवसर में बदल दिया है। दोनों दोस्तों ने मिलकर मालाखेड़ा के सुमेल गांव में आर्गेनिक सब्जी की खेती शुरू की। अब सप्ताह में 2 दिन 28 तरह की करीब 450 किलो सब्जी की अलवर शहर में होम डिलीवरी दे रहे हैं। अभी तक करीब दो सौ ग्राहक जुड़ चुके हैं। इनमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है। दोनों दोस्तों का हर महीने करीब 30 हजार रुपए का खर्चा है और 60 हजार रुपए की आय हो रही है।
अभी इस काम को चार महीने हुए हैं। ये दोस्त सतीश मीणा (कंप्यूटर साइंस से पॉलिटेक्निक) व आशीष मीणा (बीएससी) सुमेल के ही रहने वाले हैं। आशीष बताते हैं कि सबसे पहले आधा बीघा खेत में कीटनाशक और रासायनिक खादों से बचने के लिए घर के लिए सब्जियां उगाना शुरू किया, क्योंकि परिवार को कैंसर, डायबिटीज व ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से बचाना था।
कोरोनाकाल में लॉकडाउन के दाैरान रिश्तेदारों को सब्जियां पहुंचाई। उन्हें आम सब्जी से आर्गेनिक का स्वाद बेहतर लगा तो उनके आसपास के लोगों ने डिमांड की। डिमांड निकलने से प्रोत्साहन मिला तो फिर 1.01 हैक्टेयर में 28 तरह की आर्गेनिक सब्जियां उगाई। अब सोशल मीडिया ग्रुपों पर रोजाना सब्जियों की सूची और रेट लिस्ट डाल रहे हैं और उन पर आर्डर के मुताबिक मंगलवार और शनिवार शाम दो दिन में करीब 450 किलो सब्जी की होम डिलीवरी कर रहे हैं।
इससे लोगों को शुद्ध और ताजा सब्जी घर बैठे मिल रही हैं। सब्जियों को खेत से तोड़कर साफ पानी में धोकर पहले शहर में विवेकानंद नगर स्थित स्टोर पर पहुंचाया जाता है। फिर उसकी आधा-आधा किलो की पैकिंग की जाती है। इसके बाद आर्डर के मुताबिक सब्जियों की बाजार मूल्य पर मुफ्त सर्विस चार्ज में होम डिलवरी दी जा रही है। अब फार्म को ट्रयू आर्गेनिक फार्म के नाम से राजस्थान राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्थान में रजिस्टर्ड करा लिया है। अभी लोगों को आर्गेनिक और आम सब्जी में अंतर समझाने में काफी दिक्कत आ रही है, लेकिन इसमें धीरे-धीरे सफलता मिल रही है।
इन सब्जियों का कर रहे उत्पादन
सेम की फली, बैंगन, पालक, मेथी, घीया, करेला, तोरई, चुकंदर, भिंडी, टमाटर, आलू, प्याज, पत्तागोभी (हरी व बैंगनी), गांठ गोभी (हरी व बैंगनी), गजरा, गाजर, मटर, चायना गोभी, पाक चॉय, स्विस चार्ड, ब्रोकली, मूली (सफेद, गोल लाल, लंबी गुलाबी व काली), शलजम, मीठी सरसों, चपल टिंडा, जुचनी, देशी टिंडा व कद्दू की सब्जी तैयार कर रहे हैं।
मिट्टी बदल तैयार किया खेत, सोशल मीडिया पर मिले ऑर्डर
मिट्टी में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का असर खत्म करने के लिए 1.01 हैक्टेयर जमीन की पहले मिट्टी को बदला। बाद में करीब 3 लाख रुपए की जैविक खाद यानी वर्मी कंपोस्ट, गोबर की सड़ी खाद, बोनमिल, होनमिल, नीमखली, सरसों खली, अरंड खली आदि 10 तरह की खाद डाली गई। इसके लिए उद्यान विभाग के शीश मोहम्मद व मुकेश चौधरी का तकनीकी सहयोग भी लिया। आर्गेनिक सब्जियों में कीड़ा नहीं लगता है, जिससे इनकी छीजत भी नहीं है।